जय जय भैरवि असुर-भयाउनि | Jai Jai Bhairavi Lyrics (विद्यापति के दोहे)
विद्यापति के दोहे जय जय भैरवि असुर-भयाउनि, पशुपति भामिनी माया। सहज सुमति वर दिअ हे गोसाऊनि, अनुगति गति तुअ पाया।। वासर रैन सवासन शोभित, चरण चन्द्रमणि चूडा। कतओक दैत्य मारि मुख मेलल, कतओ उगलि कय कूडा।। साँवर वरन नयन अनुरंजित, जलद जोग फूल कोका। कट-कट…