मैथिली लोकगीत / प्रेमक डोली चढ़ि चलली सिया दाइ

प्रेमक डोली चढ़ि चलली सिया दाइ

हे सखि आम-महु वियाहय

बाजन बाजय बहुत

हे सखि आम-महु वियाहय

सिन्नुर-पिठार सिया आममे लगाओल

हे सखि आम-महु वियाहय

पीयर डोरी लेपटाय

हे सखि आम-महु वियाहय


मैथिली लोकगीत / प्रेमक डोली चढ़ि चलली सिया दाइ  / बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत

मैथिली लोकगीत हमर सांस्कृतिक धरोहरक अमूल्य अंग अछि । खास क॑ शादी-बियाह के दौरान गाबै वाला गहरी भाव, पारिवारिक बंधन के मिठास, आरू समृद्ध परंपरा के खूबसूरती स॑ कैद करलऽ जाय छै । ई गीत सब एकटा माय के स्नेह, एकटा बहिन के चंचलता, दादी के बुद्धि, आ पूरा परिवार के सामूहिक आनन्द के एक संग बुनैत अछि. प्रत्येक गीत मे कोनो खास संस्कार वा भावक झलक भेटैत अछि-चाहे ओ विदाईक दुख हो वा नव शुरुआतक आशा। ई हृदयस्पर्शी सादगी ही हुनका सब के सही मायने में खास बनाबै छै।

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