छौमासाँ
पीया जाई छी पटना, हम करैछि रोदना, हमरा नीको नहि लागे भबनमा हे
अगहन अग्र सोहावन रहि रहि जीया अकुलाय थर थर कापे कलेजबा कोठलिया मे
पुष सिरक भरायब रची रची पंलगा ओछायब जीया ओही सँ बुझायब भबनमा मे
माघ चिठ्ठी या लिखायब अपना पियाके पठायब, दिल ओही सँ बुझायब कोठलिया मे
फागुन फगुवा खेलायब रंग घोरी घोरी लायब, दिल ओहि सँ बुझायब कोठलिया मे
पीया जाई छी पटना, हम करैछि रोदना, हमरा नीको नहि लागे भबनमा हे
चैत चितो नहि लागे नैना निदो नहि आबे कोईली बोलीन सोहाय कोठलिया मे
बैशाख तल फल बाट, घाम सहोलो नै जाय पीया अैला अधीरतीया कोठलिया मे । ।
पीया जाई छी पटना, हम करैछि रोदना, हमरा नीको नहि लागे भबनमा हे । ।
piya jai chhee patna, ham ro rahe hain, ham achchhe svaasthy mein nahin hain
agahan agaar sohaavan ra jiya akulaaya thaar karaate kaale koleba kothaliya
pushkar siraka bhara rachee raachee palanga okhaayab jiya ohee saan bujhaib maee
apana patr likho ya apana piyaake likh bhejo, dil ohee sang bhib kothiyaala
phaagun phaguva khelaayab rang ghoree ghoree laayab, dil ohi san bujhaayab kothaliya me
peeya jaee chhee patana, ham karaichhi rodana, hamara neeko nahi laage bhabanama he
chait chito nahi laage naina nido nahi aabe koeelee boleen sohaay kothaliya me
baishaakh tal phal baat, ghaam saholo nai jaay peeya aaila adheerateeya kothaliya me . .
peeya jaee chhee patana, ham karaichhi rodana, hamara neeko nahi laage bhabanama he . .